अमेरिका में इलेक्ट्रॉनिक्स पर लगेगा स्पेशल टैरिफ, चीन पर निर्भरता घटाने पर फोकस – Special tariff imposed on electronics in America focus on reducing dependence China ntc

अमेरिका में जल्द ही स्मार्टफोन, कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर अलग से टैरिफ लगाया जाएगा. इन पर उतना ही टैरिफ लगेगा जितना सेमीकंडक्टर पर लागू किया गया है. अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने रविवार को एबीसी न्यूज को बताया कि एक या दो महीने में इन उत्पादों पर स्पेशल टैरिफ लगाया जाएगा. ये घोषणा तब की गई जब डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार देर रात चीन से आयातित कई इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर भारी टैरिफ से अस्थायी छूट देने का ऐलान किया था. इससे एपल जैसी कंपनियों को बड़ी राहत मिलने के आसार थे,, जो मुख्य रूप से चीन से आयात पर निर्भर हैं.

अब लुटनिक ने साफ कर दिया कि 2 अप्रैल को जिन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को छूट दी गई थी, वह स्थायी नहीं है. उन्होंने कहा कि ये सभी उत्पाद सेमीकंडक्टर कैटेगरी में लाए जा रहे हैं और इन पर विशेष टैरिफ लगाया जाएगा, जिससे इन्हें अमेरिका में ही निर्मित करने के लिए प्रेरित किया जा सके.

‘चीन पर निर्भरता घटानी जरूरी’

लुटनिक ने कहा कि अमेरिका को अब चीन और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों पर तकनीकी जरूरतों के लिए निर्भर नहीं रह सकते. हमें सेमीकंडक्टर, चिप्स और फ्लैट पैनल जैसी जरूरी चीजें अमेरिका में ही बनानी होंगी, ये सिर्फ व्यापार नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है.

दवाइयों पर भी लगेगा टैरिफ

वाणिज्य सचिव ने ये भी कहा कि सेमीकंडक्टर के साथ ही फार्मास्यूटिकल यानी दवा उद्योग पर भी टैरिफ लगाए जाएंगे. यह फैसला भी एक-दो महीनों में आ सकता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि ट्रंप प्रशासन सेमीकंडक्टर और दवा उद्योगों को अपना व्यवसाय वापस अमेरिका में लाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक टैरिफ मॉडल लागू करेगा. उन्होंने कहा कि हम उन बुनियादी चीजों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रह सकते, जिनकी हमें ज़रूरत है. 

2 अप्रैल को हुआ था बड़ा ऐलान

बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को यूएस के साथ व्यापार असंतुलन का आरोप लगाते हुए कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया था. हालांकि 9 अप्रैल को उन्होंने चीन को छोड़कर ज्यादातर देशों के लिए 90 दिन की छूट दे दी. हालांकि ट्रंप प्रशासन ने चीनी आयात पर 145 प्रतिशत का भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की, जिससे दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच टैरिफ वॉर शुरू हो गया, जबकि अन्य देशों के लिए 10 प्रतिशत का आधारभूत शुल्क बनाए रखा.

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