केंद्र सरकार ने यह ऐलान कर दिया है कि देश में जातिगत जनगणना कराई जाएगी. सरकार के ऐलान के बाद अब बात इसे लेकर भी होने लगी है कि जनगणना में जाति का कॉलम जुड़ेगा ही, क्या उपजाति या गोत्र के लिए भी कोई कॉलम होगा. जनगणना में किन बिंदुओं पर जानकारी एकत्रित की जाएगी. क्या मुस्लिम समुदाय की जातियां भी गिनी जाएंगी. अब यह जानकारी सामने आ रही है कि जनगणना के दौरान धर्म के साथ ही जाति का भी कॉलम होगा. यह सभी के लिए होगा.
सूत्रों की मानें तो मुस्लिम समुदाय में भी कई जातियां हैं और इस बार की जनगणना में यह जानकारी भी सामने लाई जाएगी. सूत्रों का यह भी कहना है कि मुस्लिम आरक्षण से जुड़ी कोई भी मांग सरकार स्वीकार नहीं करेगी. इसके पीछे धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं होने की दलील दी जा रही है. गृह मंत्री अमित शाह भी कई मौकों पर यह कह चुके हैं कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है और जब तक बीजेपी का एक भी सांसद संसद में है, हम धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होने देंगे.
तीन महीने में शुरू होगी जनगणना
सूत्रों के मुताबिक जनगणना का काम अगले दो से तीन महीने के भीतर शुरू हो जाएगा. इसके लिए अधिकारियों को डेपुटेशन पर तैनात करने की प्रक्रिया सरकार जल्दी ही शुरू करने की तैयारी में है. जनगणना से संबंधित प्रक्रिया पूरी होने के बाद जनगणना का काम पंद्रह दिन में पूरा कर लिया जाएगा. इस बार डिजिटल तरीके से भी जनगणना होगी. इस जनगणना में आधार ,बायोमेट्रिक और एआई का इस्तेमाल होगा. हालांकि, जनगणना के आंकड़ों के विश्लेषण में एक-दो साल का समय लग सकता है. जनगणना के आंकड़ों के विश्लेषण का काम पूरा होने के बाद इसका पूरा डेटा रिपोर्ट की शक्ल में पेश किया जाएगा.
2029 चुनाव में महिला आरक्षण लक्ष्य
सूत्रों का कहना है कि सरकार का लक्ष्य 2029 का लोक सभा चुनाव महिला आरक्षण के साथ कराना है. लोकसभा चुनाव में महिला आरक्षण लागू करने के लिए परिसीमन जरूरी है और परिसीमन के लिए जरूरी है कि जनगणना के आंकड़े उपलब्ध हों. यह भी एक वजह है कि केंद्र सरकार जनगणना को लेकर युद्ध स्तर पर तैयारियों में जुटी है. अगले साल तक जनगणना का काम पूरा होने के बाद परिसीमन का काम शुरू होगा. परिसीमन के लिए आयोग का गठन किया जाएगा. परिसीमन आयोग की टीम राज्यों के दौरे कर रिपोर्ट तैयार करेगी.
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ओबीसी आरक्षण की सीमा बढ़ाने पर विचार
जातिगत जनगणना में जातियों की जनसंख्या सामने आने के बाद सरकार अगले स्टेप पर भी विचार-विमर्श शुरू कर चुकी है. सूत्रों की मानें तो ओबीसी की संख्या बढ़ने पर सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए 27 फीसदी आरक्षण की सीमा बढ़ाने पर भी विचार हो सकता है. हालांकि, जस्टिस रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट पर एक्शन को लेकर सरकार के स्तर पर अभी कोई हलचल नहीं है, जिसमें कोटा के भीतर कोटा की बात थी. जातिगत जनगणना के आंकड़े सामने आने के बाद सरकार इस पर भी विचार कर सकती है.
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जनगणना पर हर दल से बात कर सकती है सरकार
निजी क्षेत्र में आरक्षण को लेकर सरकार कोई कदम उठाने से परहेज करने के ही मूड में नजर आ रही है. डॉक्टर मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के समय भी निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग उठी थी जिसका प्राइवेट सेक्टर ने विरोध किया था. निजी शैक्षणिक संस्थानों को लेकर अनुच्छेद 15(5) पहले से ही लागू है. जनगणना के तौर-तरीकों को लेकर सभी दलों से बात कर सकती है. जातिगत जनगणना के बाद परिसीमन पर विपक्षी इंडिया ब्लॉक की पार्टियों में भी उत्तर बनाम दक्षिण की बहस छिड़ सकती है.
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