छत्तीसगढ़ के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ला की 19 साल पहले हुई मौत के मामले में फर्जी हृदय रोग विशेषज्ञ नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन कैम के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है. साथ ही पुलिस ने बिलासपुर के एक प्राइवेट अस्पताल के खिलाफ भी केस दर्ज किया है. नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन कैम और प्राइवेट अस्पताल के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर में गैर इरादतन हत्या (धारा 304) के अलावा भारतीय दंड संहिता के तहत धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप भी शामिल किए गए हैं.
बिलासपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) रजनेश सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश के दमोह के एक अस्पताल में सर्जरी के बाद सात मरीजों की मौत के मामले में गिरफ्तार किए गए यादव ने यहां प्राइवेट फैसिलिटी में शुक्ला का ऑपरेशन किया था.
इसके कुछ दिन बाद कोटा विधानसभा क्षेत्र से तत्कालीन कांग्रेस विधायक शुक्ला की 2006 में बिलासपुर के प्राइवेट अस्पताल में मौत हो गई थी. राजेंद्र प्रसाद शुक्ला ने 2000 से 2003 तक छत्तीसगढ़ विधानसभा के पहले अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था.
पूर्व अध्यक्ष के बेटे प्रदीप शुक्ला ने हाल ही में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि जब उनके पिता को प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तब यादव उस अस्पताल से जुड़े थे.
शिकायत में कहा गया है, “नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन कैम ने मेरे पिता की हृदय शल्य चिकित्सा की थी, और फिर 20 अगस्त, 2006 को मृत घोषित किए जाने से पहले उन्हें 18 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया था. अस्पताल प्रबंधन ने मेरे पिता के इलाज के लिए राज्य सरकार से 20 लाख रुपए लिए थे.”
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प्रदीप शुक्ला ने कहा कि उन्हें हाल ही में मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से यादव और दमोह अस्पताल में हुई मौतों के बारे में पता चला. एसएसपी सिंह ने कहा कि पुलिस ने यादव की डिग्री को फर्जी पाया है, और भारतीय चिकित्सा परिषद व छत्तीसगढ़ चिकित्सा परिषद के साथ उनके रजिस्ट्रेशन के दस्तावेजों का अभी तक पता नहीं चला है.
पुलिस अफसर ने कहा कि उचित जांच के बिना, अस्पताल प्रबंधन ने यादव को हृदय रोग विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त करके पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शुक्ला के साथ-साथ कई अन्य हृदय रोगियों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को शिकायत मिलने के बाद यादव को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि मिशन अस्पताल, दमोह में सात लोगों की मौत हो गई थी, जहां उन्होंने हृदय रोगों के इलाज के नाम पर मरीजों का ऑपरेशन किया था.
इंदौर स्थित एक रोजगार परामर्श फर्म के निदेशक ने पिछले सप्ताह कहा था कि यादव ने 2020 से 2024 के बीच नौकरी के लिए तीन बार अपना बायोडाटा भेजा था और दावा किया था कि उन्होंने हजारों मरीजों का ऑपरेशन किया है. 2024 में अपनी फर्म को भेजे गए 9 पन्नों के बायोडाटा में यादव ने खुद को वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ बताया था और अपना स्थायी पता ब्रिटेन के बर्मिंघम का बताया था.
निदेशक ने कहा था कि बायोडाटा में उन्होंने यह भी उल्लेख किया था कि वे हजारों हृदय रोगियों के ऑपरेशन में शामिल थे, जिनमें ‘कोरोनरी एंजियोग्राफी’ के लिए 18,740 और ‘कोरोनरी एंजियोप्लास्टी’ के लिए 14,236 ऑपरेशन शामिल थे. यादव ने खुद को बड़ी साजिश का शिकार बताया है और दावा किया है कि उनकी डिग्रियां असली हैं.
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