पहलगाम अटैक के बाद एक बार कश्मीर की स्थिति की चर्चा होने लगी है. पिछले कुछ सालों में कश्मीर में काफी बदलाव हुए हैं, उनपर भी फिर से बहस होने लगी है, जिसमें आर्टिकल 370 आदि शामिल है. ऐसे में जानते हैं कि आखिर कश्मीर में हुए इन बदलावों का जमीन पर कितना असर हुआ है और आखिर इन सालों में कश्मीर कितना बदला है…
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जिस कश्मीर में आए दिन पत्थरबाजी की घटनाएं होती रहती थीं, जिसका आंकड़ा अब जीरो हो गया है. हड़ताल की घटनाएं भी अब कश्मीर में लगभग खत्म हो चुकी हैं. वहीं, आम आदमियों के मौत के आंकड़े में भी काफी कमी आई है.
बता दें कि साल अगस्त,2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटा लिया गया था. ऐसे में 2018 और 2023 के आंकड़ों से समझते हैं कि कश्मीर में कितना बदलाव हुआ.
एक भी पत्थरबाजी की घटना नहीं
अगर पत्थरबाजी की घटनाओं की बात करें तो साल 2018 में पत्थरबाजी की 1328 घटनाएं हुई थीं, लेकिन 2023 में ये आंकड़ा 00 में तब्दील हो गया था. वहीं, 2024 (21 जुलाई तक) में भी एक भी पत्थरबाजी की घटना नहीं हुई. इसके अलावा हड़ताल की बात करें तो साल 2018 में 52 घटनाएं हुई थीं, लेकिन 2023 और 2024 (21 जुलाई तक) में ऐसी एक भी घटना नहीं हुई.
– अगर आतंकवादी घटनाओं की बात करें तो साल 2018 में 228 आतंकी घटनाएं हुई थीं और 2023 में ये आंकड़ा 46 पहुंच गया. वहीं, 2024 (21 जुलाई तक) 11 आतंकी घटनाएं रिकॉर्ड की गई.
– घाटी में साल 2018 में 189 एनकाउंटर हुए थे और साल 2023 में ये घटकर 48 रह गए और 2024 (21 जुलाई तक) में 24 एनकाउंटर की घटनाएं हुईं.
सुरक्षा बलों के कितने जवान शहीद हुए?
लोकसभा में दिए गए जवाब में बताया गया है कि साल 2018 में 91, 2023 में 30 जवान शहीद हुए थे. जबकि 2024 (21 जुलाई तक) में 14 जवानों की जान गईं.
कितने आम लोगों की हुई मौत?
सरकारी डेटा के हिसाब से साल 2018 में आतंकवाद की वजह से 55 आम लोगों की मौत हुई थी, जबकि 2023 में ये आंकड़ा घटकर 14 हो गया. साल 2024 (21 जुलाई तक) में 14 लोगों की जान गई है.
कश्मीर के लिए ऐसे रहे पांच साल
कश्मीर में 2018 से आंतक की घटनाएं लगातार कम हो रही हैं और सेना, आम लोगों को भी कम नुकसान हुआ है. आप नीचे की लिस्ट में पूरा डेटा देख सकते हैं.
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