‘पहलगाम हमले के पीछे PAK सेना प्रमुख असीम मुनीर का हाथ’, पाकिस्तानी सेना के रिटायर्ड मेजर का बड़ा दावा – Pakistani Army Major Adil Raza big claim retired PAK Army Chief Asim Munir behind Pahalgam attack ntc

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं. इसी बीच इस्लामाबाद में रह चुके पाकिस्तान सेना के रिटायर्ड मेजर और विश्लेषक आदिल रजा ने एक चौंकाने वाला दावा किया है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर का हाथ है.

आदिल रजा ने दावा किया कि असीम मुनीर को अच्छी तरह पता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु संतुलन होने के कारण भारत कोई बड़ा युद्ध नहीं छेड़ेगा, लेकिन एक सीमित जवाबी कार्रवाई जरूर संभव है. ऐसे में पहलगाम हमला एक सोची-समझी चाल नजर आती है, जिसका मकसद पाकिस्तानी जनता को भारत विरोधी और कश्मीर समर्थक एजेंडे पर लामबंद करना है.

आदिल रजा के मुताबिक इस हमले के पीछे असीम मुनीर की ये इच्छा भी है कि वह खुद को एक मजबूत नेता की छवि में पेश कर सकें. खासतौर पर उस वक्त, जब देश में सेना के खिलाफ गुस्सा है और लोग इमरान खान के जनादेश की चोरी का आरोप सेना पर लगा रहे हैं.

‘ये हमला फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन था’

आदिल ने आरोप लगाया कि ये हमला एक ‘फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन’ है, यानी ऐसा हमला जिसे खुद करवाकर दुश्मन पर ठीकरा फोड़ा गया हो. आदिल रजा ने कहा कि असीम मुनीर पुलवामा हमले के समय ISI प्रमुख थे और अब पहलगाम हमले के दौरान सेना प्रमुख हैं, और दोनों हमलों के पीछे उनकी भूमिका की बात पाक खुफिया एजेंसियों के सूत्रों ने भी स्वीकारी है.

‘इमरान खान की लोकप्रियता से डरते हैं असीम मुनीर’

इतना ही नहीं, आदिल ने असीम मुनीर के हाल ही के इस्लामाबाद भाषण का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर हिंदू विरोधी बातें कहीं थीं. उसके तुरंत बाद पहलगाम में जिन पर्यटकों को निशाना बनाया गया, उन्हें कथित रूप से उनके धर्म की पहचान करके टारगेट किया गया. रजा ने इसे एक ‘साइकोपैथ’ यानी मानसिक रूप से असंतुलित सोच बताया और कहा कि असीम मुनीर इमरान खान की लोकप्रियता से डरते हैं, इसलिए इस तरह के कदम उठाकर जनता की सहानुभूति हासिल करना चाहते हैं. आदिल ने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान की सत्ता में नवाज़ शरीफ को बिठाने की पूरी योजना लंदन प्लान के तहत रची गई थी, जिसमें जनता की राय और लोकतंत्र की पूरी तरह अनदेखी की गई.

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