जून 2020 में गलवान में हुए झड़प के बाद भारत-चीन के रिश्तों में भारी तनाव देखने को मिला था. दोनों तरफ से विवाद को खत्म करने के लिए कई दौर की बैठकें हुईं जिसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में धीरे-धीरे ही सही, लेकिन नरमी आने लगी थी. हाल ही में भारत-चीन के द्विपक्षीय संबंधों की 75वीं वर्षगांठ पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि भारत-चीन संबंधों को ड्रैगन-हाथी टैंगो का रूप लेना चाहिए.
ड्रैगन चीन और हाथी भारत का प्रतीक माना जाता है और जिनपिंग का कहना था कि दोनों देशों को हर क्षेत्र में सहयोग गहरा करना चाहिए. शी जिनपिंग के इस बयान से पहले मार्च में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि दो पड़ोसियों के बीच मतभेद होना स्वाभाविक है लेकिन भतभेद को विवाद में तब्दील नहीं होना चाहिए.
पीएम मोदी के इस बयान पर चीन काफी गदगद हुआ था और चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा था कि चीन भारत के साथ हर क्षेत्र में सहयोग के लिए तैयार है ताकि दोनों देशों के बीच अच्छे और स्थिर संबंध बने रहे.
भारत-चीन संबंध सुधर ही रहे थे कि भारत और (चीन के दोस्त) पाकिस्तान के बीच जंग जैसी स्थिति बन गई है. भारत का आरोप है कि बीते हफ्ते पहलगाम में हुए आतंकी हमलों में पाकिस्तान की संलिप्तता है जिसके बाद दोनों देश भारी तनाव के दौर से गुजर रहे हैं.
अमेरिका के साथ भारत का प्रस्तावित व्यापार समझौता भी चीन को उकसा सकता है और भारत-चीन के सुधरते रिश्तों पर ब्रेक लग सकता है.
भारत-अमेरिका व्यापार समझौता कैसे भारत-चीन रिश्तों को प्रभावित करेगा?
यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न में एशियन स्टडीज के सीनियर लेक्चरर प्रदीप तनेजा का कहना है कि भारत-चीन रिश्तों में जमी बर्फ पिघल रही है लेकिन हालिया घटनाएं दोनों के रिश्तों में जटिलताएं पैदा कर सकती हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसी महीने की शुरुआत में भारत पर 26% रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की थी. यानी टैरिफ लागू होने के बाद अमेरिका में पहुंच रहे भारतीय सामानों पर 26% का अतिरिक्त शुल्क लगेगा.
हालांकि, टैरिफ पर फिलहाल 90 दिनों की रोक है जो जुलाई में खत्म होने वाली है. टैरिफ की घोषणा के बाद भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की कवायद तेज कर दी है. ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत और अमेरिका के बीच जल्द व्यापार समझौता हो जाएगा.
तनेजा ने कहा कि भारत एक प्रतिस्पर्धी मार्केट इकोनॉमी है और उसे निर्यात से जुड़े निवेश को आकर्षित करने का अधिकार है. वो कहते हैं कि लेकिन अगर अमेरिका के साथ समझौते में चीन को निशाना बनाने की कोशिश की गई तो निश्चित रूप से इसका द्विपक्षीय संबंधों पर प्रभाव पड़ेगा.
ट्रंप प्रशासन ने दुनिया के हर उस देश पर टैरिफ की घोषणा की है जो अमेरिका के साथ व्यापार करता है. लेकिन इसके बाद उन्होंने टैरिफ के लागू होने पर 90 दिनों की रोक लगा दी. अमेरिका के कुछ बड़े व्यापार सहयोगी टैरिफ को लेकर उससे बातचीत कर रहे हैं जिसमें भारत की शामिल है.
कुछ समय पहले सामने आई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि ट्रंप टैरिफ वार्ता का फायदा उठाने की योजना बना रहे हैं. रिपोर्ट्स में कहा गया कि ट्रंप वार्ता के जरिए अपने व्यापारिक साझेदारों पर चीन के साथ लेन-देन को सीमित करने का दबाव डाल सकते हैं.
कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर अमेरिका भारत के साथ व्यापार समझौते में ऐसे एलिमेंट्स शामिल करता है जिससे चीन को नुकसान होता है तो चीन जवाब देगा. नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के ली कुआन यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में एशियन स्टडीज के प्रोफेसर कांति बाजपेयी कहते हैं, ‘भारत व्यापार के मामले में चीन को अलग-थलग करने में बहुत आगे नहीं जा सकता है, इसलिए वो अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में चीन विरोधी तत्वों को कम से कम रखने के लिए कड़ी मेहनत करेगा.’
बाजपेयी ने कहा कि चीन ने भारत के उन बयानों पर गौर किया होगा जिसमें संकेत दिया गया है कि चीन व्यापार में निष्पक्ष नहीं है. वो कहते हैं कि इससे चीन और भारत के संबंध प्रभावित हो सकते हैं.
लेकिन उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अमेरिका के साथ बढ़ती प्रतिद्वंद्विता में चीन को भारत की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ‘अमेरिका के साथ टकराव में चीन ग्लोबल साउथ, एशियाई देशों और यूरोपीय देशों से अधिक से अधिक समर्थन हासिल करना चाहता है. भारत को पूरी तरह से खोना चीन के लिए अमेरिका के खिलाफ गठबंधन बनाने में घाटे की तरह होगा. बेशक, चीन जानता है कि भारत उसके साथ मिलकर अमेरिका विरोधी नहीं बनेगा, लेकिन वह नहीं चाहता कि भारत पूरी तरह से अमेरिका की तरफ मुड़ जाए.’
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ती दुश्मनी भी डाल रही भारत-चीन रिश्तों पर असर
पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार बताए जाने पर चीन ने मांग की है कि घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. चीन ने दोनों ही देशों से तनाव कम करने का आग्रह किया है.
प्रदीप तनेजा कहते हैं कि चीन-भारत संबंध इस बात पर निर्भर करेगा कि चीन संघर्ष पर कैसी प्रतिक्रिया देता है.
उन्होंने कहा, ‘अगर इस समय पाकिस्तान पर किसी देश का कोई प्रभाव है तो वो चीन है. चीन पाकिस्तान पर दबाव बनाकर जवाब दे सकता है. दूसरी ओर, चीन पाकिस्तान का समर्थन करके भी जवाब दे सकता है. और अगर ऐसा हुआ … तो यह भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए एक झटका होगा.’
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