भारतीय छात्र ने ट्रंप प्रशासन पर ठोका मुकदमा, इमिग्रेशन स्टेटस रद्द करने को दी चुनौती – Indian student sues Trump administration over deportation threat immigration status ntcpan

अमेरिकी शिक्षण संस्थानों को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार सख्ती दिखा रहे हैं. ऐसे में एक भारतीय और तीन अन्य छात्रों ने इस महीने अपने स्टूडेंट इमिग्रेशन स्टेटस को खत्म किए जाने के बाद ट्रंप प्रशासन पर मुकदमा ठोक दिया है. इन चारों छात्रों को अमेरिका से डिपोर्ट करने का प्लान था और अब उन्होंने अदालत से अपना कानूनी दर्जा फिर से हासिल करने की गुहार लगाई है.

यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब ट्रंप प्रशासन ने कैंपस एक्टिविज्म की वजह से अंतरराष्ट्रीय छात्रों के वीजा रद्द करना शुरू कर दिया है. भारतीयों सहित सैकड़ों छात्रों को ईमेल भेजकर उन्हें स्वदेश वापस जाने के लिए कहा गया है. दुकानों से सामान चुराने या ट्रैफिक रूल तोड़ने जैसे छोटे-मोटे अपराधों के आरोपी छात्रों को भी टारगेट किया जा रहा है.

क्या है पूरा मामला?

वेन स्टेट यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले भारत के चिन्मय देवरे, चीन के जियांगयुन बु और क्यूई यांग, नेपाल के योगेश जोशी ने शुक्रवार को होमलैंड सिक्योरिटी और आव्रजन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दायर किया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर इन्फोर्मेशम सिस्टम (SEVIS) में उनका स्टूडेंट इमिग्रेशन स्टेटस बिना किसी नोटिस या वजह बताए गलत तरीके से खत्म कर दिया गया.

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SEVIS डेटाबेस में अमेरिका में गैर-अप्रवासी छात्रों के बारे में जानकारी होती है. इसका मतलब यह है कि अब इन छात्रों का अमेरिका में लीगल स्टेटस नहीं रहेगा और उन्हें तुरंत देश छोड़कर वापस जाना होगा. अमेरिकी जिला न्यायालय, पूर्वी जिला मिशिगन में छात्रों की ओर से अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन (ASLU) ने यह मुकदमा दायर किया था.

छात्रों ने अदालत से अपने लीगल स्टेटस को बहाल करने की मांग करते हुए कहा कि न तो उन पर कोई अपराध का आरोप लगाया गया है और न ही उन्होंने कोई इमिग्रेशन कानून तोड़ा है. छात्रों ने कहा कि वे किसी राजनीतिक मुद्दे को लेकर कैंपस में होने वाले विरोध प्रदर्शनों में भी एक्टिव नहीं थे.

‘अराजकता और डर फैलाना मकसद’

डेट्रॉयट फ्री प्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक मिशिगन के ACLU के कार्यकारी निदेशक लोरेन खोगाली ने कहा कि ट्रंप प्रशासन इस तरह से काम कर रहा है जैसे कि बुनियादी संवैधानिक जरूरतें उन पर लागू नहीं होती हैं. खोगाली ने कहा कि इस प्रशासन का मकसद कुछ लोगों पर हमला करके हम सभी को आतंकित करना और डर फैलाना है. वे अब उन अंतरराष्ट्रीय छात्रों को निशाना बना रहे हैं जो हमारी एकेडमिक कम्युनिटी में अहम योगदान देते हैं और अपने खर्च से हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाते हैं.

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कुछ दिनों पहले ही अमेरिकी जज ने ट्रंप प्रशासन को 21 वर्षीय भारतीय स्नातक कृष लाल इस्सरदासानी को डिपोर्ट करने से अस्थायी रूप से रोक दिया था, जिसका छात्र वीजा रद्द कर दिया गया था. कृष मई में ग्रेजुएट होने वाले हैं. इससे पहले ट्रंप प्रशासन ने MIT के 9 छात्रों का वीजा रद्द कर दिया था और इस फैसले की भी आलोचना हुई थी.

ट्रंप प्रशासन लगातार अमेरिकी शिक्षण संस्थानों को निशाना बना रहा है और उन पर नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश में लगा हुआ है. बीते दिनों सरकार की शर्तें न मानने के बाद प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को दी जाने वाली 2.3 अरब डॉलर की फेडरल फंडिंग को भी रोक दिया गया था.

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