‘सुपर पार्लियामेंट की तरह काम कर रहे जज…’ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका पर उठाए सवाल – Vice President Jagdeep Dhankhar expressed alarm says judges function as super Parliament ntcpan

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश की कड़ी आलोचना की है, जिसमें राष्ट्रपति को राज्यपालों की ओर से विचार के लिए भेजे गए विधेयकों पर डेडलाइन के भीतर एक्शन लेने का निर्देश दिया गया है. इसे लेकर उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत में कभी भी ऐसा लोकतंत्र नहीं रहा, जहां न्यायाधीश किसी लॉ मेकर, कार्यपालिका और यहां तक कि ‘सुपर संसद” के रूप में काम करें.

राष्ट्रपति का स्थान बहुत ऊंचा

राज्यसभा इंटर्न के ग्रुप को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हाल ही में एक फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है, हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? संवैधानिक सीमाओं के उल्लंघन पर चिंता जताते हुए उपराष्ट्रपति ने वहां मौजूद लोगों को राष्ट्रपति की शपथ की याद दिलाई, संविधान को संरक्षित, सुरक्षित और सुरक्षित रखना. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रपति का स्थान बहुत ऊंचा है, जबकि अन्य लोग सिर्फ संविधान का पालन करने की शपथ लेते हैं.

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उन्होंने पूछा, ‘हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां आप भारत के राष्ट्रपति को निर्देश दें और किस आधार पर?’ संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में न्यायपालिका के पास एकमात्र अधिकार ‘अनुच्छेद 145(3) के तहत संविधान की व्याख्या करना’ है और वह भी पांच या उससे ज्यादा जजों की बेंच की ओर से किया जाना चाहिए. 

सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे निर्देश

पिछले हफ़्ते सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि जब राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 201 के तहत राष्ट्रपति के पास कोई विधेयक सुरक्षित रखते हैं, तो तीन महीने के भीतर एक्शन लिया जाना चाहिए. यह डेडलाइन उस फैसले का हिस्सा थी जिसमें तमिलनाडु के राज्यपाल की लंबे समय से निष्क्रियता और राज्य के विधेयकों को मंजूरी न देने को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि राष्ट्रपति के पास ‘पॉकेट वीटो’ नहीं है और उन्हें विधानसभा से पारित विधेयकों को समय पर मंजूरी देनी चाहिए या खारिज करना चाहिए.

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