chirag paswan bihar election delhi politics nitish – चिराग पासवान का कोई बिहार प्लान है, तो निशाने पर नीतीश ही हैं या कोई और? – chirag paswan working on bihar and bihari first nitish kumar and many on target opnm1

चिराग पासवान दिल्ली की जगह पटना की पॉलिटिक्स में ज्यादा दिलचस्पी लेने लगे हैं. और, असर ये है कि उनके साथी नेता और समर्थक बिहार का अगला मुख्यमंत्री बनाये जाने की मांग करने लगे हैं. ये ठीक वैसे ही है जैसे जेडीयू नेता नीतीश कुमार के लिए जोरदार कैंपेन चला रह हैं. तेजस्वी यादव तो पहले से ही मैदान में हैं, बस कांग्रेस ने एक छोटा सा पेच फंसा रखा है. 

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान कहते हैं, मेरी राजनीति की नींव ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ पर टिकी हुई है… मेरा राज्य मुझे बुला रहा है… मेरे पिता रामविलास पासवान केंद्र की राजनीति में ज्यादा सक्रिय थे, लेकिन मेरी पहली प्राथमिकता बिहार है… मैं ज्यादा समय तक केंद्र में नहीं रह सकता.

चिराग पासवान ने ये तो साफ किया है कि वो 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव खुद नहीं लड़ने जा रहे हैं – लेकिन, लगे हाथ ये भी बता दिया है कि 2030 के विधानसभा चुनाव से पहले वो बिहार की राजनीति में लौट आएंगे.

चिराग पासवान का बिहार प्लान क्या है

1. आमतौर पर चिराग पासवान अपने पिता की विरासत को भी उनके ही तरीके से संभालने का दावा करते हैं, लेकिन बिहार की राजनीति पर चिराग पासवान का जो फोकस और इरादा है, ज्यादा तो नहीं लेकिन सीनियर पासवान से थोड़ा अलग जरूर है. 

2. राम विलास पासवान ज्यादातर दिल्ली यानी केंद्र की ही राजनीति किये. लेकिन, ऐसा भी नहीं कि बिहार की राजनीति में उनकी दिलचस्पी नहीं थी. 

जिस पासवान बिरादरी के वो नेता रहे, अकेले उसके दम पर वो मुख्यमंत्री नहीं बन सकते. राम विलास को भी नीतीश कुमार की तरह जातियों का एक नया समूह तैयार करना चाहिये था, लेकिन वो उनके लिए संभव नहीं हो पाया. नीतीश कुमार लव-कुश की राजनीति जरूर करते हैं, लेकिन अति पिछड़ी जातियों का ऐसा ताना बाना बुना कि लालू का मुस्लिम-यादव समीकरण भी फेल हो गया. 

3. नीतीश कुमार पहली बार (फरवरी, 2005) में ही मुख्यमंत्री बन सकते थे, लेकिन रामविलास पासवान का समर्थन न मिलने से हफ्ता भर में ही इस्तीफा देना पड़ा था. तब रामविलास पासवान बिहार में मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाये जाने की मांग पर अड़े हुए थे. 

जब रामविलास पासवान ने देखा कि दाल नहीं गलने वाली है, तो दिल्ली में ही जम गये, और बिहार का जिम्मा अपने भाई पशुपति कुमार पारस के हवाले कर दिये. पारस भी कभी भाई के मैसेंजर से ज्यादा कुछ नहीं बन सके – चिराग पासवान का जोर लगता है पिता के अधूरे सपने को बिहार का मुख्यमंत्री बन कर करना है.

चिराग और राम विलास की राजनीति में फर्क

चिराग पासवान को कहा भले न जाता हो, लेकिन बिहार की राजनीति के कई एक्सपर्ट उनको पिता रामविलास पासवान से भी बड़ा मौसम वैज्ञानिक मानते हैं. पासवान पहले कांग्रेस के साथ हुआ करते थे, लेकिन 2014 से पहले वो बड़े आराम से बीजेपी के साथ हो गये. और, इस बात के लिए चिराग ने ही उनको राजी भी किया था. 

चिराग पासवान ने ही समझाया था कि वो 15 फीसदी मुस्लिम वोट बैंक के लिए 85 फीसदी हिंदुओं की राजनीति क्यों छोड़ रहे हैं. चिराग पासवान ने ये बात उनको मुस्लिम मुख्यमंत्री वाली जिद को लेकर ही समझाया होगा, और तब से वो बीजेपी के साथ बने हुए हैं. 

लेकिन, ये भी जरूरी नहीं कि चिराग पासवान आगे भी बीजेपी के साथ ही बने रहें. जैसे ही उनको मौसम का मिजाज समझ में आया, कभी भी कांग्रेस के साथ जा सकते हैं, लेकिन ऐसा तभी संभव है, जब उनको कांग्रेस के सत्ता में आने की संभावना लगती हो. 

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के जातिगत जनगणना अभियान के समर्थन में खड़े होकर, चिराग पासवान ने संकेत तो दे ही दिया है. 

बिहार की राजनीति में चिराग की कितनी दिलचस्पी

ये तो देखा ही गया है कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से लेकर केंद्र में मंत्री बनने तक चिराग पासवान ज्यादातर बिहार की राजनीति पर ही फोकस नजर आये. वैसे भी उस वक्त जो उनकी हालत हो गई थी, दिल्ली में रहने का कोई मतलब नहीं रह गया था. पिता को मिले बंगले से भी बेदखल कर दिये गये थे, और लोक जनशक्ति पार्टी के कोटे के मंत्री पद भी चाचा पशुपति कुमार पारस के हिस्से में चला गया था.

अब जबकि चिराग पासवान के बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं, पूरी रणनीति तो नहीं, लेकिन थोड़ी बहुत तो समझी ही जा सकती है. 

1. क्या चिराग पासवान के निशाने पर फिर से नीतीश कुमार ही हैं, बची खुची बर्बादी को अंजाम तक पहुंचाने के लिए. चिराग पासवान के मन में ये गुस्सा तो होगा ही कि उनकी पार्टी तोड़ने से लेकर, उनको केंद्र में मंत्री न बनने देने तक –  नीतीश कुमार ने कोई कसर बाकी नहीं रखी.

2. यहां पर सवाल ये भी उठता है कि क्या ये सब चिराग पासवान का ही प्लान है, या फिर बीजेपी के मिशन के अधूरे काम पूरा करने की रणनीति है. मतलब, ये कि चिराग पासवान ये सब अपने मन से कर रहे हैं, या फिर से बीजेपी के इशारे पर? 

3. क्या बीजेपी चिराग पासवान को हथियार बनाकर तेजस्वी यादव को टार्गेट करने की रणनीति पर काम कर रही है? 

4. क्या चिराग पासवान खुद अपनी जमीन तैयार कर रहे हैं, ताकि आने वाले दिनों में जुगाड़ करके मुख्यमंत्री बन सकें?

5. क्या चिराग पासवान बीजेपी का झुनझुना बने रहने से आगे निकलना चाहते हैं, और बीजेपी ने उनकी पार्टी तोड़कर, उनकी मां को पिता की जगह राज्यसभा न भेजकर और चाचा को मंत्री बनाकर जो दर्द दिया है, उससे भी बदला लेना चाहते हैं? 

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