देश की राजधानी दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों के खिलाफ पुलिस बड़ी कार्रवाई करने जा रही है. इससे संबंधित मामलों में दिल्ली पुलिस ने छह एफआईआर दर्ज की है. इसके साथ ही एक बड़ी साजिश की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है. इसमें क्राइम ब्रांच, स्पेशल सेल और लॉ एंड ऑर्डर यूनिट की टीमों को शामिल किया गया है. इस टीम का काम अवैध घुसपैठ कराने वाले नेटवर्क का पता करना है.
दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा द्वारा 6 मार्च को जारी एक आंतरिक निर्देश के बाद उठाया गया है. उनके आदेश में कहा गया है, ”अवैध प्रवासियों को भारत में प्रवेश कराने, बसने की व्यवस्था करने, फर्जी पहचान दस्तावेज, पते के प्रमाण बनाने, दिल्ली की ओर आने-जाने में मदद करने, दिल्ली में नौकरी दिलाने या उसकी व्यवस्था करने और आवास किराए पर लेने में मदद करने वाले सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का अभियान चलाया जाना है.”
सभी टीमों को साल 2024 और 2025 में निर्वासित किए गए 151 अवैध प्रवासियों का डेटा निकालकर इस पर काम करने का निर्देश दिया गया है. इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि यह काम 25 मार्च तक पूरा कर लिया जाना चाहिए. विभिन्न इकाइयों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा पालन किए जाने वाले विस्तृत चरण-दर-चरण निर्देश दिए गए हैं. एफआरआरओ और डीसीपी से सभी बांग्लादेशी निर्वासितों की जांच रिपोर्ट (आईआर) 8 मार्च तक एकत्र की जाएगी.
इस अभियान में मार्च की शुरुआत और अप्रैल के बीच क्षेत्र-स्तरीय कार्रवाई भी शामिल थी, जिसके दौरान अधिकारियों ने अवैध निवासियों की पहचान करने, उन्हें हिरासत में लेने और निर्वासित करने के लिए अभियान चलाया. कानून प्रवर्तन इकाइयों ने कई संदिग्धों से पूछताछ करते हुए एक मानकीकृत प्रारूप के तहत घटना रिपोर्ट तैयार की है. प्रगति का आकलन करने और कार्रवाई का समन्वय करने के लिए 15 और 20 मार्च को आंतरिक समीक्षा बैठक आयोजित की गई.
बताते चलें कि पिछले महीने ही दिल्ली पुलिस ने एक रैकेट का पर्दाफाश किया है, जो बांग्लादेशी घुसपैठियों को अवैध रूप से भारत में प्रवेश दिलाने, उन्हें ठिकाने पर बसाने, नकली दस्तावेज बनाने और फिर नौकरी दिलाने का काम करता था. यह सिंडिकेट सुनियोजित तरीके से बांग्लादेशी नागरिकों को भारत लाकर उनके लिए वैध पहचान बनाने की प्रक्रिया को अंजाम देता था, जिससे वे यहां लंबे समय तक बिना किसी कानूनी कार्रवाई के रह सकें.
दिल्ली पुलिस की जांच में सामने आया था कि यह रैकेट सबसे पहले बांग्लादेशी नागरिकों को असम के रास्ते भारत में घुसपैठ कराता था. इसके बाद उन्हें दिल्ली लाया जाता था, जहां उनके रहने की व्यवस्था की जाती थी. इस सिंडिकेट के सदस्यों का नेटवर्क इतना मजबूत था कि वे इन अवैध प्रवासियों के लिए आधार कार्ड, वोटर आईडी, और अन्य सरकारी दस्तावेज बनवाने में मदद करते थे. इनकी मदद से देशभर में छोटे-मोटे कामों में लगा देते थे.
Leave a Reply