Pahalgam Attack – जब भारत ने नेवल ब्लॉकेज कर तोड़ दी थी पाकिस्तान की रीढ़, 12 दिन में घुटनों पर आ गई थी सेना – When India attacked Karachi port imposed naval blockage and Pakistani army had to surrender amnr

3 दिसंबर 1971 को जब पाकिस्तान ने भारत की पश्चिमी सीमा (पंजाब, राजस्थान, गुजरात और जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रों में) पर हवाई हमला किया तो उसे अंदाजा भी नहीं होगा कि भारत का पलटवार इतना गहरा होगा. भारत ने न सिर्फ पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में बंगाली नागरिकों और हिंदुओं का बदला लिया, बल्कि महज 12 दिन में पाकिस्तानी सेना को घुटनों पर ला दिया था. कराची बंदरगाह (Karachi Port) पर नेवल ब्लॉकेज करके भारत ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ दी थी.

दरअसल, 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारत ने कराची पोर्ट पर नेवल ब्लॉकेज किया था. 3 दिसंबर से 16 दिसंबर तक चली उस जंग में नेवल ब्लॉकेज का फैसला निर्णायक साबित हुआ था. ऑपरेशन ट्राइडेंट और ऑपरेशन पायथन ने महज 12 दिन में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मिट्टी में मिला दिया था. यहां तक कि सगे बनने वाले देश भी बस तमाशबीन बनकर रह गए थे.

ऑपरेशन ट्राइडेंट

4 दिसंबर 1971 की रात भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह पर हमला किया. इस ऑपरेशन में मिसाइल बोट्स (INS निपट, INS नीरघाट, और INS वीर) ने स्टाइक्स मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया. यह पहली बार था जब भारत ने किसी युद्ध में एंटी-शिप मिसाइलों का इस्तेमाल किया था. इस ऑपरेशन में कराची बंदरगाह पर पाकिस्तानी नौसेना के जहाज PNS खैबर और PNS मुहाफिज डूब गए. बंदरगाह के तेल भंडार में आग लगने से तेल की आपूर्ति ठप हो गई. इस हमले से पाकिस्तान की नौसेना और अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ.

 

ऑपरेशन पायथन

इसके बाद बचा-कुचा काम भारतीय नौसेना के ऑपरेशन पायथन ने कर दिया. भारतीय नौसेना ने 8-9 दिसंबर 1971 की आधी रात को कराची बंदरगाह पर दूसरा हमला किया. इस बार INS विनाश और दो फ्रिगेट्स (INS तलवार और INS त्रिशूल) ने कराची पर हमला किया. फिर से मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ और बंदरगाह पर बचे हुए तेल टैंकों को नष्ट कर दिया गया. इस हमले ने कराची बंदरगाह को पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया. पाकिस्तान की तेल आपूर्ति और व्यापार रुक गया, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था और सैन्य संचालन पर गहरा असर पड़ा.

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Photo Source: nios.ac.in

10-15 दिनों तक सुलगता रहा कराची बंदरगाह

कराची बंदरगाह पर इन हमलों के बाद पाकिस्तानी नौसेना बंदरगाह में ही सीमित हो गई. भारत ने समुद्री रास्तों को ब्लॉक कर दिया, जिससे पाकिस्तान की 85% तेल आपूर्ति प्रभावित हुई. रिपोर्ट्स के अनुसार, 50% से अधिक तेल भंडार जल गए, जिससे 10-15 दिनों तक आग लगी रही. इससे पाकिस्तान को तेल आयात करने में भारी दिक्कत हुई. कराची से 90% समुद्री व्यापार होता था. ब्लॉकेज से आयात-निर्यात रुक गया, जिसके चलते खाने-पीने की चीजें, दवाइयां और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी हो गई. बताया जाता है कि उस वक्त पाकिस्तान को 100 मिलियन डॉलर से अधिक (अनुमानित) आर्थिक नुकसान हुआ था. बंदरगाह की बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ, जिसकी मरम्मत में महीनों लगे. उसकी बिजली उत्पादन और मिलिट्री एक्टिविटीज ठप हो गईं. 16 दिसंबर को पाकिस्तान ने आत्मसमर्पण कर दिया, और बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश बना.

फिर से नेवल ब्लॉकेज की मांग

बता दें कि 22 अप्रैल को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद एक बार फिर नेवल ब्लॉकेज की बात शुरू हो गई है. देशभर के लोग, बैसरन घाटी में आतंकी हमले में मारे गए 26 मासूम लोगों का बदला चाहते हैं. केंद्र सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि स्थगित, अटारी-वाघा बॉर्डर बंद, पाकिस्तानी नागरिकों पर वीजा प्रतिबंध, SAARC वीजा छूट खत्म और पाकिस्तानी उच्चायोग में सैन्य सलाहकारों को निष्कासित कर दिया है. अब मोदी सरकार से नेवल ब्लॉकेज की मांग की जा रही है.

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