जब सिद्धारमैया और सैफुद्दीन सोज जैसे सीनियर नेताओं को पहलगाम पर कांग्रेस की पॉलिटिकल लाइन की परवाह नहीं है, तो आलाकमान के लिए बाकियों से उम्मीद करना भी बेमानी ही लगता है.
लेकिन, मल्लिकार्जुन खड़गे ऐसे नेताओं पर लगाम कसने की तैयारी कर रहे हैं, और शुरुआत नसीहत से होने वाली है.
पहलगाम हमले पर कांग्रेस के कई नेताओं के बयान पर केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी हमलावर हो गई है, और हर कदम पर सरकार का साथ देने के राहुल गांधी के वादे के बावजूद कांग्रेस को बचाव की मुद्रा में आना पड़ा है.
बीजेपी के हमले की धार का असर कमजोर करने के लिए फिलहाल कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने उनका निजी बयान बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की है, लेकिन क्या ये कांग्रेस नेताओं के बयान से हुए डैमेज को कंट्रोल कर पाएगा?
कांग्रेस नेताओं ने ही बढ़ाई राहुल गांधी की मुसीबत
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी अपने चुनाव क्षेत्र रायबरेली के दौरे पर हैं. और, उसके बाद एक दिन अमेठी में भी रहेंगे. रायबरेली और अमेठी के दौरे पर जाने से पहले राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है.
राहुल गांधी के साथ साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहलगाम हमले पर चर्चा के लिए संसद का स्पेशल सेशन बुलाने की मांग की है. मल्लिकार्जुन खड़गे राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं. कांग्रेस नेताओं ने संसद के दोनों सदनों का विशेष सत्र जल्द से जल्द बुलाने की मांग की है.
एक तरफ राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे पहलगाम पर केंद्र सरकार का साथ देने की बात कर चुके हैं, और ऐन उसी वक्त कांग्रेस के कई नेता अपनी अलग ही लाइन पर चल रहे हैं. खबर है कि राहुल गांधी ने कांग्रेस नेताओं की हरकत पर नाराजगी जताई है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी ऐतराज जताया है. और, कांग्रेस नेताओं को को ऐसे बयानों से परहेज करने के लिए जल्दी ही अधिकारिक तौर पर दिशानिर्देश जारी किये जा सकते हैं.
मसले की गंभीरता को देखते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा है, कांग्रेस के कुछ नेता मीडिया से चर्चा कर रहे हैं… वे केवल अपनी निजी राय रखते हैं, वे कांग्रेस के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते… ऐसे नाजुक समय में कोई संदेह नहीं होना चाहिये कि केवल कांग्रेस कार्यसमिति का प्रस्ताव मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के बयान और अधिकृत एआईसीसी पदाधिकारियों के विचार ही पार्टी के आधिकारिक स्टैंड का प्रतिनिधित्व करते हैं.
कांग्रेस नेता बेकाबू क्यों हो गये हैं?
पहलगाम पर कांग्रेस नेताओं के बयान के चलते राहुल गांधी खुद निशाने पर आ गये हैं. बीजेपी का आरोप है कि राहुल गांधी की बात कोई सुन ही नहीं रहा है – बीजेपी के हमले के कारण कांग्रेस नेतृत्व को बचाव के लिए उपाय खोजने पड़ रहे हैं.
सिद्धारमैया ने तो सफाई भी दे दी है, लेकिन महाराष्ट्र से कांग्रेस विधायक वडेट्टीवार के बयान ने अलग ही बवाल मचाया है. पहलगाम की घटना पर विजय वडेट्टीवार का कहना है कि आतंकियों के पास इतना समय नहीं कि वह धर्म पूछकर किसी को मारें.
कांग्रेस का नेता न होने के बावजूद रॉबर्ट वाड्रा की बातों पर तो गांधी परिवार के रुख जैसी चर्चा होने लगती है. सोनिया गांधी के दामाद होने की वजह से उनकी बातें मीडिया की सुर्खियों का हिस्सा बन जाती हैं. वो तो यही समझा रहे थे कि देश में मुस्लिम समुदाय के साथ होने वाले भेदभाव के रिएक्शन में ही आतंकवादी गैर-मुस्लिमों को टार्गेट किये होंगे.
मणिशंकर अय्यर तो भारत विभाजन को जिम्मेदार बता रहे हैं, बीजेपी के लिए ये कांग्रेस और नेहरू पर हमले का अलग ही सदाबहार मुद्दा होता है.
कांग्रेस नेताओं का राहुल गांधी की बात न मानना कोई नया मसला नहीं है. सुनने को तो अशोक गहलोत से लेकर भूपेश बघेल तक राहुल गांधी की सुनते ही कहां हैं. मुद्दा अलग जरूर है, लेकिन सिद्धारमैया का व्यवहार भी तो मिलता जुलता ही है.
अब अगर सीनियर नेता कांग्रेस की पॉलिटिकल लाइन फॉलो नहीं करेंगे, तो छोटे नेताओं से कैसे अपेक्षा की जा सकती है?
राम मंदिर के मुद्दे पर भी ऐसा ही देखने को मिला था, कांग्रेस ने सामने आकर साफ साफ बोल दिया कि पार्टी का कोई भी नेता अयोध्या के समारोह में नहीं जाएगा, क्योंकि वो सब बीजेपी के एजेंडे का हिस्सा है.
लेकिन, तभी कई कांग्रेस नेता कहने लगे कि वे तो जाएंगे ही. मजबूरन, भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकले राहुल गांधी को प्रेस कांफ्रेंस में बोलना पड़ा कि कोई अपने मन से जाना चाहे तो जा सकता है – जब तक पार्टी लाइन को लांघने वाले नेताओं पर कार्रवाई नहीं होगी, चीजें ऐसे ही बेकाबू रहेंगी.
राष्ट्रवाद पर बीजेपी को टक्कर देने का मौका
1. जब पूरा जम्मू-कश्मीर, असदुद्दीन ओवैसी और फारूक अब्दुल्ला जैसे नेता भी पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं, और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, तो ये कांग्रेस नेता क्यों पाकिस्तान को क्लीन चिट देने पर तुले हुए हैं? पहलगाम हमले का मामला तो अब मुस्लिम वोट बैंक के दायरे में भी नहीं रह गया है.
2. कांग्रेस के बड़बोले नेताओं के बाद शशि थरूर और उदित राज की बहस ने कांग्रेस नेतृत्व के लिए मामला पेंचीदा कर दिया है. जब शशि थरूर खुफिया जानकारी पर कार्रवाई न करने के मामले में केंद्र सरकार को संदेह का लाभ देने को कह रहे हैं, और सरकार की तरफ से आतंकवादियों के खिलाफ इजरायल जैसे एक्शन के लिए इंतजार करने की सलाह दे रहे हैं – कांग्रेस नेता उदित राज उनको बीजेपी का प्रवक्ता करार देते हैं. कांग्रेस का स्टैंड तो यूं ही बिखर जा रहा है.
3. मुश्किल ये है कि पहलगाम का मुद्दा ऐसा है कि कांग्रेस नेताओं के बयान को निजी राय बताने भर से काम नहीं चलने वाला है – ऐसे नेताओं के खिलाफ राहुल गांधी को सख्त ऐक्शन लेने की दरकार है. वैसे ही जैसे प्रधानमंत्री मोदी पर टिप्पणी के लिए मणिशंकर अय्यर के खिलाफ ऐक्शन लिया गया था.
4. देखा जाये तो राष्ट्रवाद के मुद्दे पर बीजेपी को टक्कर देने का बेहतरीन मौका है, लेकिन कांग्रेस चूक जा रही है. कांग्रेस नेताओं से माफी मंगवाना मुमकिन न हो रहा हो, तो पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाकर मैसेज देने की कोशिश की जानी चाहिये. और, जयराम रमेश को भी निजी राय जैसी बातों के बजाय, बताना चाहिये, बल्कि बार बार और जोर जोर से दोहराना चाहिये कि पहलगाम पर कांग्रेस का स्टैंड क्या है.
5. कांग्रेस के लिए मुस्लिम पार्टी होने के तोहमत और दाग धुलने का भी ये सबसे अच्छा मौका है. पुलवामा हमले के बाद भी राहुल गांधी और कांग्रेस बीजेपी के निशाने पर थे, और ऐसे आरोपों का ठीक से बचाव नहीं कर पाये कि उनकी बातें पाकिस्तान में हेडलाइन बनाती हैं.
ध्यान देने वाली बात ये भी है कि जिस वक्त कांग्रेस पहलगाम पर सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की बात कर रही है, ऐन उसी वक्त सोशल मीडिया पर कांग्रेस की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टार्गेट किया जा रहा है. जाहिर है, फिलहाल मुद्दा तो पहलगाम और पाकिस्तान ही है – जाहिर है, ये सब यूं ही नहीं, बल्कि सोच समझ कर रणनीति के तहत ही किया जा रहा होगा.
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