rahul gandhi tejashwi yadav lalu yadav rjd congres – राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की मुलाकात के बाद बिहार चुनाव की तस्वीर साफ हो पाई क्या? – rahul gandhi and tejashwi yadav meet may unveil real picture of congress rjd alliance for bihar election 2025 opnm1

कांग्रेस की तरफ से कहा गया है कि बिहार विधानसभा का चुनाव वो महागठबंधन में आरजेडी के साथ ही लड़ेगी, लेकिन राहुल गांधी के ताबड़तोड़ दौरे, और बिहार कांग्रेस के नेताओं के बयान से संदेह पैदा होने लगा है. 

और, सबसे ज्यादा संदेह तेजस्वी यादव के महागठबंधन का नेता होने और मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर कांग्रेस नेताओं का मीडिया के सवाल टाल जाना शक पर मुहर ही लगा रहा है – और यही वजह है कि दिल्ली में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की मीटिंग महत्वपूर्ण हो जाती है. 

राहुल गांधी और बिहार कांग्रेस के नेताओं की बात और गतिविधियों पर ध्यान दें तो लगता है, किसी और रणनीति पर भी काम चल रहा है, जो बयानों से मेल नहीं खाता. 

दिल्ली के बाद बिहार में राहुल गांधी की दिलचस्पी और उसी लाइन पर गुजरात चुनाव की तैयारी, यही बताती है कि गठबंधन फाइनल न होने की सूरत में कांग्रेस बिहार चुनाव अकेले लड़ने के लिए, एक प्लान-बी पर भी काम कर रही है. 

दिल्ली से लेकर बिहार तक चुनावी बैठकों की तैयारी

राहुल गांधी के तीन बार के बिहार दौरे के बाद कांग्रेस और आरजेडी के बीच बैठकों का सिलसिला शुरू हो चुका है. 15 अप्रैल को दिल्ली में हुई मीटिंग के बाद, 17 और 20 अप्रैल को बिहार में ऐसी ही बैठकें होनी हैं. 

दिल्ली वाली मीटिंग कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर हुई है, जिसमें राहुल गांधी के साथ साथ आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी शामिल हुए.  

महागठबंधन की औपचारिक बैठकों का मकसद सीटों के बंटवारे के साथ साथ चुनावी रणनीति पर भी विचार करना और अंतिम रूप देना है. बताते हैं कि 17 अप्रैल को प्रस्तावित बैठक में कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार, विधायक दल के नेता और आरजेडी की तरफ से तेजस्वी यादव और मनोज झा के अलावा सीपीएम, सीपीआई-एमएल के नेता भी शामिल होंगे – और आगे की रणनीति तैयार की जाएगी. ऐसे ही 20 अप्रैल की मीटिंग में सीटों के तालमेल के साथ ही महागठबंधन के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर भी सहमति बनाने की कोशिश हो सकती है.

बिहार चुनाव 2020 में भी शुरुआत ऐसे ही हुई थी. लेकिन बात नहीं बनी, और बाद में लालू यादव और प्रियंका गांधी के हस्तक्षेप से चीजें फाइनल हो पाईं. तब कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, और 17 सीटें ही जीत पाई. कांग्रेस के स्ट्राइक रेट से तेजस्वी यादव काफी गुस्से में थे, और राहुल गांधी, प्रियंका गांधी आरजेडी नेताओं के निशाने पर आ गये थे.

कांग्रेस की दावेदारी तो अब भी वही है, लेकिन प्रदर्शन के आधार पर आरजेडी की तरफ से दबाव बनाने की कोशिश हो रही है. सुनने में आया है कि कांग्रेस की तरफ से मामला 60 तक पहुंच चुका है, और 50 पर सहमति भी बन सकती है. 

निश्चित तौर पर ये दबाव बनाने की ही कवायद हो सकती है, जिसमें कुछ कांग्रेस नेताओं की तरफ से लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन के आधार पर सीटों के बंटवारे की मांग चल रही थी

कांग्रेस नेताओं के साथ मीटिंग खत्म होने के बाद तेजस्वी यादव ने कहा है कि बातचीत अच्छी हुई है – और तेजस्वी यादव का ये बयान कांग्रेस और आरजेडी के मिलकर चुनाव लड़ने की संभावनाओं को मजबूत तो बता ही रहा है. 

लेकिन, महागठबंधन का नेता कौन?

बेशक कांग्रेस और आरजेडी की बैठक में बातचीत अच्छी हुई हो, लेकिन जब तक महागठबंधन के नेता के नाम पर सहमति नहीं बनती, सारी कवायद बेकार मानी जाएगी. 

महागठबंधन का नेता ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा होता है. 2015 के चुनाव में नीतीश कुमार को महागठबंधन का नेता बनाया गया था, चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री भी वही बने. 

2020 का बिहार चुनाव महागठबंधन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ चुका है. जिस प्रेस कांफ्रेंस में तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री पद के चेहरे की घोषणा हुई थी, राहुल गांधी भी मौजूद थे, लेकिन इस बार कांग्रेस नेताओं के बयान से लगता है कि इस मुद्दे पर दोनो दलों के बीच मामला फंसा हुआ है. 

निश्चित तौर पर महागठबंधन में सीटों का बंटवारा भी काफी महत्वपूर्ण चीज है, लेकिन सबसे बड़ा पेच तो नेता पर ही फंसा है – और जब तक कांग्रेस की तरफ से सार्वजनिक तौर पर तेजस्वी यादव के नाम पर मुहर नहीं लगा दी जाती, सारी बातचीत शक के दायरे में ही समझी जाएगी. 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *