140 करोड़ लोगों के मन में वक्फ कानून को लेकर सवाल चल रहा है कि वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार (17 अप्रैल) के आदेश का मतलब क्या है, क्योंकि वक्फ कानून के पक्ष और वक्फ कानून के विपक्ष में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे दोनों पक्ष आदेश को अपनी-अपनी जीत बता रहे हैं. यही वजह है कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री और ‘वक्फ बाय यूजर’ पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से केंद्र सरकार के जवाब आने तक लगाई 7 दिन की रोक को लेकर बहुत लोगों के मन में कंफ्यूजन है. वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक्शन के एक-एक पॉइंट को समझते हैं.
16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से अपील की गई कि अतंरिम आदेश जारी करने से पहले उनकी दलील सुनी जाएं. कोर्ट ने केंद्र सरकार की अपील को सुनते हुए अतंरिम आदेश पारित नहीं किया. 17 अप्रैल को सुनवाई के दौरान एक बार फिर वक्फ कानून के अतंरिम आदेश से पहले विवाद के मुद्दों पर विस्तार से सुनवाई की दलील पेश की गई. जवाब देने के लिए एक हफ्ते की मोहलत मांगी गई. और एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने अतंरिम आदेश की तारीख आगे बढ़ा दी, लेकिन वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री और ‘वक्फ बाय यूजर’ संपत्तियों में किसी तरह के बदलाव पर केंद्र का जवाब आने तक रोक लगा दी. यानी सुप्रीम कोर्ट की तरफ से केंद्र को जवाब देने का मौका दिया गया, लेकिन अतंरिम आदेश से पहले याचिकाकर्ताओं के मन में वक्फ कानून को लेकर जो डर बैठा था, उसे दूर करने का रास्ता दिखा दिया.
केंद्र सरकार वक्फ कानून में किए गए संशोधनों को संविधान से मिले विधान के मुताबिक किए गए बदलाव बता रही है, लेकिन सुनवाई से पहले ही केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट विधायी मामले में दखल नहीं देगा. हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए. अगर कल सरकार न्यायपालिका में दखल देती है तो अच्छा नहीं होगा. शक्तियों का बंटवारा अच्छी तरह से परिभाषित है. केंद्रीय मंत्री न्यायपालिका और कार्यपालिका की शक्तियों की याद दिलाते है, तो वक्फ पर बनी जेपीसी के अध्यक्ष रहे जगदंबिका पाल सुप्रीम सुनवाई के अंतरिम आदेश से पहले ही वक्फ कानून पर अपना फैसला सुनाते हुए बड़ा ऐलान करते हैं. उन्होंने कहा कि अगर कानून में एक भी गलती निकली, तो वे अपने सांसदी पद से इस्तीफा दे देंगे.
सुप्रीम कोर्ट का रुख संविधान और वक्फ कानून के सवाल पर एकदम स्पष्ट है. अगर संसद से बने किसी कानून की संवैधानिक वैधता पर प्रश्न चिन्ह लगेगा, तो संविधान की कसौटी पर कानून को कसा जाएगा. वो भी संविधान से मिली शक्तियों के विधान से.
वक्फ कानून के 2 बदलावों पर SC का रुख सख्त
वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक नहीं लगाई है. बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने ये माना कि वक्फ के नए कानून में कई अच्छाइयां भी हैं, लेकिन वक्फ कानून के 2 बदलाव पर सुप्रीम कोर्ट का रुख बहुत सख्त है. पहला ‘वक्फ बाय यूजर’ के प्रावधान को हटाने पर और दूसरा वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री पर. अब इन्हीं 2 मुद्दों पर 5 मई को सुप्रीम कोर्ट का अतंरिम ऑर्डर आएगा.
सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को क्या-क्या हुआ? इसे समझते हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बहस शुरू कहते हुए कहा कि आपने जो सवाल पूछा उस पर कल रात हमने काम किया, लेकिन मुद्दा ऐसा नहीं है. कोई सेक्शन को देखकर उस पर फैसला किया जाए, इसके लिए पूरे कानून और इतिहास को भी देखना होगा. कई सुझावों पर गौर करके ये कानून पारित हुआ है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा. अगर कोई आदेश पारित करना है, तो हमें एक हफ्ते का वक्त दीजिए, जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार के वकील तुषार मेहता की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे सामने एक ऐसी परिस्थिति है कि हम कोई भी ऐसी परिस्थिति नहीं चाहते जो किसी भी तरह से प्रभावित करे. हम बस चाहते हैं कि दूसरा पक्ष भी प्रभावित ना हो. इसके जवाब में तुषार मेहता ने कहा कि अगर आप वक्फ बाय यूजर को लेकर भी कुछ कहना चाहते हैं, तो उसे लेकर भी हमारा पक्ष सुनें. एक हफ्ते में कोई भी नियुक्ति नहीं होगी.
‘केंद्र 7 दिन के अंदर जवाब दाखिल करे’
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तुषार मेहता से कहा हम नहीं चाहते कि पोजीशन बदले, आप इस बात का भरोसा दीजिए कि सरकार नई नियुक्ति नहीं करेगी. संशोधित कानून के मुताबिक सॉलिसिटर जनरल ने जवाब देते हुए कहा कि एक हफ्ते में कुछ नहीं बदलेगा, इस बात को मैं रिकॉर्ड पर कहता हूं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून को लेकर बड़ी बात कही कि केंद्र सरकार 7 दिनों के अंदर अपना जवाब दाखिल करे. सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया है कि धारा 9 और 14 के तहत परिषद और बॉर्ड में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी. अगली सुनवाई तक वक्फ जिसमें पहले से पंजीकृत या अधिसूचना द्वारा वक्फ शामिल है, उसे रद्द नहीं किया जाएगा.
5 मई को क्या-क्या होगा?
अब 5 मई को वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी, 5 मई को क्या होगा इसे समझिए… सुप्रीम कोर्ट के सामने केंद्र सरकार का जवाब होगा. केंद्र के जवाब पर याचिकाकर्ताओं का प्रत्युत्तर होगा. दोनों पक्षों की दलीलें कोर्ट के समक्ष मौजूद होंगी. अगर केंद्र के जवाब से कोर्ट संतुष्ट हुआ तो रोक नहीं लगाएगा. अगर संतुष्ट नहीं हुआ तो 2 मुद्दे पर निर्णय आने तक यथास्थिथि बरकरार रहेगी. सबकी नजरें 5 मई पर सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई हैं. 5 मई को ही सुप्रीम कोर्ट में पूरे मामले को लेकर आगे की प्रोसिडिंग पर निर्णय लिया जाएगा.
सिर्फ 5 याचिकाओं पर होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है कि 125 याचिकाओं में सिर्फ 5 याचिकाओं पर सुनवाई होगी. याचिकाकर्ताओं को ऐसी 5 अर्जी को चुनना है जिसमें विरोध के सभी मुद्दे मौजूद हों. सिर्फ 5 याचिकाओं पर सुनवाई से वक्फ कानून पर फैसले में कम वक्त लगेगा.
5 वकील पक्ष में और 5 वकील विपक्ष में करेंगे बहस
कोर्ट ने तय किया है कि वक्फ कानून पर 5 वकील पक्ष में और 5 वकील विपक्ष में बहस करेंगे. मुस्लिम पक्ष की तरफ से 5 वकीलों के नाम तय किए जा चुके हैं- 1. कपिल सिब्बल, 2. अभिषेक मनु सिंघवी, 3. राजीव धवन, 4. सलमान खुर्शीद, 5. हुजैफा अहमदी. वक्फ कानून को चुनौती देने वाली याचिकाकर्ताओं के नोडल वकील एजाज़ मकबूल होंगे.
वहीं, कानून का समर्थन करने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से 5 वकीलों का पैनल होगा. इसमें संभावित वकील होंगे- 1. राकेश द्विवेदी, 2. मनिंदर सिंह, 3. रंजीत कुमार, 4. रविन्द्र श्रीवास्तव, 5. गोपाल शंकर नारायण. जबकि नोडल काउंसल की जिम्मेदारी विष्णु शंकर जैन संभाल सकते हैं. वक्फ कानून के पक्ष और विपक्ष दोनों पक्षकारों को सुप्रीम कोर्ट सुनेगा. सुनवाई पूरी होने के बाद वक्फ कानून को लेकर फाइनल फैसला आएगा. यानी वक्फ कानून को लेकर लंबी लड़ाई चलने वाली है.
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