पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच टेंशन (India-Pakistan Tension) काफी बढ़ चुकी है. भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई एक्शन लिए हैं, जिसमें सिंधु जल संधि सस्पेंड (Indus Water Treaty) करना सबसे बड़ा कदम है, क्योंकि इसके साल 1960 में लागू होने के बाद कभी भी रोका नहीं गया था. अब भारत ने इसे सस्पेंड करके पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख स्पष्ट कर दिया है.
वहीं भारत की नकल करते हुए पाकिस्तान ने शिमला समझौता सस्पेंड (Shimla Treaty Suspension) किया और भारत के लिए एयरस्पेस बंद करने का फैसला लिया. भातर और पाकिस्तान दोनों ने बॉर्डर पर सिक्योरिटी टाइट कर दी है. दोनों देशों के बीच टेंशन के कारण शेयर बाजार (Stock Market) में इसका असर दिख रहा है.
भारत के शेयर बाजार में कम गिरावट हुई है, लेकिन पाकिस्तान का स्टॉक मार्केट (Pakistani Stock Market) 2 दिनों में ही करीब 25000 अंकों तक टूट गया. कहा जा रहा है कि पाकिस्तानी स्टॉक मार्केट में यह टेंशन और भी गंभीर हो सकती है. शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में Sensex 588 अंक गिरकर 79,212.53 पर क्लोज हुआ, जबकि Nifty50 की बात करें तो यह 207 अंक गिरकर 24,039.35 पर क्लोज हुआ. हालांकि इंट्राडे में सेंसेक्स 1100 अंकों और निफ्टी 300 अंकों से ज्यादा टूट चुका था.
शेयर बाजार के लिए नई चुनौती
पहले ग्लोबल ट्रेड टेंशन की वजह से मार्केट में गिरावट आ रही थी. लेकिन फिर स्थिति संभली और वैश्विक व्यापार तनाव में कमी, घरेलू मुद्रा में स्थिरता और FII निवेश में ग्रोथ जैसे कारकों के कारण बाजार में हरियाली लौटी थी. अब दो दिनों में गिरावट देखी गई है, जिसे लेकर निवेशक सतर्क दिखाई दे रहे हैं. आइए जानते हैं ऐसी स्थिति में मार्केट एक्सपर्ट (Stock Market Experts) क्या कह रहे हैं और 1999 के दौरान कारगिल युद्ध (Kargil War) के समय मार्केट में क्या हुआ था?
बिजनेस टुडे के मुताबिक, आनंद राठी रिसर्च ने कहा कि ऐतिहासिक रुझान दर्शाते हैं कि भारतीय इक्विटी बाजार खासकर Nifty50, ऐसे संघर्षों के दौरान भी लचीला बना रहता है.
कारगिल युद्ध के समय कैसे थे हालात?
ब्रोकरेज फर्म आनंद राठी रिसर्च के स्टडी के अनुसार, भारत-पाकिस्तान संघर्ष भारतीय इक्विटी पर संभावित प्रभाव, कारगिल युद्ध (साल 1999), उरी हमला (2016) और बालाकोट हवाई हमले (2019) जैसी पिछली घटनाओं के कारण केवल 1-2% का मामूली सुधार हुआ.
जंग छिड़ी तो मार्केट में क्या होगा?
भले ही तनाव बढ़े हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि निफ्टी में 5-10% से ज्यादा गिरावट नहीं होगा और कोई भी गिरावट कुछ ही समय के लिए होगी. निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे अनुशासित रहें, अपनी रणनीतिक पर टिके रहें और घबराहट में बेचने के बजाय खरीदारी के अवसरों पर विचार करें.
कब-कब मार्केट में कितनी हुई गिरावट?
कारगिल युद्ध (1999), उरी हमला (2016) और पुलवामा-बालाकोट स्ट्राइक (2019) जैसी प्रमुख घटनाओं में निफ्टी का सुधार 0.8% से 2.1% की मामूली सीमा के भीतर ही रहा.
तनाव बढ़ने के दौरान एकमात्र महत्वपूर्ण बाजार सुधार 2001 में संसद पर हमले के बाद हुआ था, लेकिन वह गिरावट (-13.9%) भारत-पाकिस्तान गतिरोध की तुलना में ग्लोबल मंदी और अमेरिकी S&P500 में -30% की गिरावट के कारण हुआ था.
2025 में क्या हो सकता है असर?
अगर तनाव सीमित संघर्ष में बदल जाता है, तो निफ्टी 50 में अधिकतम 5-10% तक सुधार होने की उम्मीद है. विश्लेषकों का सुझाव है कि वर्तमान ग्लोबल रिस्क, मजबूत घरेलू मैक्रो इंफ्रा और संघर्षों के दौरान भारत का ऐतिहासिक बाजार व्यवहार सीमित गिरावट की संभावना का संकेत दे रहा है.
निवेशकों को ऐसे समय में क्या करना चाहिए?
एक्सपर्ट ने कहा कि 65:35:20 नियम की रणनीतिक अपने पोर्टफोलियों के लिए बनानी चाहिए. जिसका मतलब 65% इक्विटी निवेश, 35% लोन रिपेमेंट के लिए, 20% सेविंग के नियम का पालन करना चाहिए. गिरावट के समय अच्छे इक्विटी में निवेश पर विचार कर सकते हैं और लॉन्ग टर्म नजरिए से सोच सकते हैं. घबराट में शेयर नहीं बेचे, इसके बजाय पोर्टफोलियो को मजबूत करने पर फोकस रहना चाहिए.
(नोट- बाजार के हालात को लेकर ब्रोकरेज फर्म्स की अपनी राय है. aajtak.in इसकी जिम्मेदारी नहीं लेता. किसी भी तरह के निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें.)
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