भारत-पाक के तनातनी भरे रिश्तों के बीच क्यों कायम हैं रिश्तेदारियां, क्या शादियां भी बनीं घुसपैठ का जरिया? – marriage between india and pakistan citizens what are the other ways to get visa amid leave india notice ntcpmj

भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक रिश्ते जितने भी तल्ख रहे हों, लेकिन दोनों देशों के नागरिकों में आपसी रिश्ते, खासकर मुस्लिम परिवारों में शादियां आम रहीं. अब पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बीच सभी पाकिस्तानी नागरिकों को लीव इंडिया का नोटिस मिल चुका. वैध ढंग से आए ज्यादातर लोग सीमा पार भेजे जा चुके, जबकि अवैध तरीके से रहते लोगों की पहचान हो रही है. इस बीच कई सवाल आते हैं, जैसे दोनों देशों के बीच शादियां क्यों और कितनी आम रहीं. साथ ही, क्या इससे भारत और पड़ोस में आवाजाही आसान हो जाती है?

लोग किस धर्म, जेंडर या किस देश में शादी करें, ये वैसे तो उनका आपसी मसला है, लेकिन आमतौर पर दो लोग दुश्मन देश से नागरिकों से जुड़ने से बचते रहे, फिर चाहे वो नॉर्थ कोरिया या अमेरिका के हों, या ईरान और इराक. भारत-पाकिस्तान के बीच बात कुछ अलग है. बंटवारे के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता या कम होता रहा, लेकिन दोनों के बीच रिश्ते कभी सामान्य नहीं हो सके. इसके बाद भी दोनों ही मुल्कों में आपसी शादियां होती रहीं.

पहलगाम हमले के बाद लीव इंडिया नोटिस आने के बाद इन रिश्तों की तस्वीर कुछ ज्यादा साफ होकर आई. 

दोनों देशों के बीच होने वाली शादियों का कोई पक्का डेटा कहीं नहीं, या हो भी तो शायद क्लासिफाइड हो. लेकिन अलग-अलग रिपोर्ट्स के अनुसार, हर साल ऐसी सैकड़ों शादियां हो रही हैं. कश्मीर के अलावा राजस्थान, पंजाब और गुजरात के बॉर्डर एरिया में यह सामान्य है. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों, खासकर जैसलमेर और बाड़मेर में हर साल लगभग 200 क्रॉस-बॉर्डर रिश्ते हो रहे हैं. कश्मीर और गुजरात की पाकिस्तान से सटी सीमा पर भी यही दिखता है. 

india pakistan border photo India Today

इन शादियों के पीछे ज्यादातर सामाजिक कारण हैं. बंटवारे से पहले बहुत से परिवार एक ही गांव या कस्बे में रहते थे, जो 1947 के बाद अलग-अलग हो गए. मतलब दोनों तरफ ही रिश्तेदारियां हैं. इन आपसी संबंधों को जिंदा रखने के लिए शादियां हो रही हैं. इसके अलावा राजस्थान, पंजाब और सिंध जैसे इलाकों में बोलचाल, पहनावा, खानपान और रीति-रिवाज बहुत हद तक एक जैसे हैं. ये लोग जब भी किसी कामकाज में मिलते हैं तो आपस में कनेक्ट कर पाते हैं और रिश्तेदारियां हो जाती हैं. आजकल सोशल मीडिया भी इसकी वजह बन रहा है. लोग इसके जरिए जुड़ते हैं और मामूली बातचीत शादी में बदल जाती है. 

पाकिस्तानी नागरिक की शादी भारतीय से हो तो उन्हें यहां रहने के लिए खास वीजा मिलता है, लेकिन ये प्रोसेस आसान नहीं. सबसे पहले एक्स वीजा जारी किया जाता है. यह स्पाउस और करीबी सदस्यों के लिए होता है. पहली बार यह वीजा आमतौर पर 6 महीने से 1 साल के लिए मिलेगा. यही रिन्यू होता रहेगा, जब तक कि नागरिकता की प्रोसेस पूरी न हो जाए. 

इस एक्स वीजा के लिए भी शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी है. दस्तावेजों का पुलिस सत्यापन होता है, जिसके बाद ही वीजा मिलेगा. 

कुछ मामलों में, खासकर जब पाकिस्तानी नागरिक हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई या पारसी समुदाय से होते हैं, तो लॉन्ग-टर्म वीजा (एलटीवी) भी मिलता है. ये लंबे समय के लिए होता है और नागरिकता पाने की प्रोसेस का हिस्सा माना जाता है. 

शादी के बाद भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया जा सकता है लेकिन इसके लिए भी कई शर्तें हैं, जैसे कम से कम 7 साल तक देश में रहना जरूरी है. पाकिस्तानी नागरिकों के मामलों में सुरक्षा जांच ज्यादा सख्त होती है. इसमें एक नियम और भी है. शादी करके हमारे यहां आई पाकिस्तानी मूल की महिला को उसी शहर का वीजा मिलता है, जहां उसका पति या ससुराल है. कहीं और जाने के लिए उसे पुलिस से इजाजत लेनी होती है. 

marriage between india and pakistan civilians photo  AFP

भारत क्यों पाकिस्तानियों को लेकर शक से भरा रहा, इसके सबूत भी वक्त-वक्त पर दिखते रहे.

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI ने कई बार हनी ट्रैप या फर्जी शादियों के जरिए हमारे यहां जासूसी की कोशिश की. राजस्थान और पंजाब के बॉर्डर पर कई ऐसे मामले दिखे, जहां पाकिस्तानी महिलाएं भारतीय पुरुषों से शादी करके भारत आईं और बाद में उनपर जासूसी का आरोप लगा. ऐसे मामलों को देखते हुए वीजा आसानी से नहीं मिलता, और मिल भी जाए तो रॉ और मिलिट्री इंटेलिजेंस की कड़ी नजर बनी रहती है. 

शादी-ब्याह के अलावा भी पाकिस्तान से लोग लगातार भारत आते रहे. इसके लिए कई अलग तरह से वीजा का प्रावधान है.
 
– वहां के लोगों के लिए टूरिस्ट वीजा नहीं है, इसकी जगह वे विजिटर वीजा पर आ सकते हैं. लेकिन इसमें भी आने वालों को अपने संबंधियों का पता और बाकी दस्तावेज देने होते हैं. 

– लॉन्ग टर्म वीजा, जैसा कि हम पहले बता चुके, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान की माइनोरिटी के लिए होता है, जो भारतीय नागरिकता चाहते हैं. 

– मेडिकल वीजा काफी प्रचलित है. पाकिस्तान तो क्या दुनिया के बड़े देशों से भी लोग बढ़िया और कम महंगी मेडिकल सुविधा के लिए यहां आते रहे.

– भारत-पाकिस्तान के बीच तीर्थयात्राओं के लिए भी द्विपक्षीय समझौता रहा. 

– बिजनेस वीजा, स्टूडेंट वीजा और जर्नलिस्ट या रिसर्चरों के लिए अलग तरह के वीजा मिलते रहे. 

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का नतीजा ये हुआ कि दोनों एक-दूसरे के नागरिकों को एंट्री तो देते हैं, लेकिन आने वाले लोग शक से बचे नहीं रहते. यही वजह है कि अलग-अलग टाइप के वीजा लेकर पहुंचे लोगों के लिए अलग रूट तय है. जैसे मेडिकल के लिए आए लोग अलग रास्ते या एयरपोर्ट से आएंगे, जबकि धार्मिक यात्रा के लिए आने वाले अलग रास्ता लेंगे. ये लोग देश के सभी शहरों में घूमफिर नहीं सकते, बल्कि तय जगह पर ही रहते हैं. 

india pakistan border tension photo Getty Images

भारतीय नागरिक को भी पाकिस्तान के लिए सिटी-स्पेसिफिक वीजा लेना होता है.

उसे वीजा के लिए अप्लाई करते हुए बताना होगा कि वो किस-किस शहर में जाएगा और इमिग्रेशन अधिकारी उन्हीं शहरों के नाम दर्ज करते हैं. अगर किसी को लाहौर, इस्लामाबाद और कराची के लिए मंजूरी मिले तो वो घूमने के लिए भी पेशावर या सियालकोट नहीं जा सकता. ऐसा करने पर वो फॉरेनर्स एक्ट के तहत गिरफ्तार हो सकता है. यहां बता दें कि पाकिस्तान भारतीयों के लिए उतना वेलकमिंग नहीं, जितना हम उनके लिए हैं. वो कई शहरों को सेंसिटिव जोन मानता है और वहां भारतीय किसी हाल में नहीं जा सकते. 

पाकिस्तान के लोगों को हमारे यहां ज्यादातर वक्त हा्ई रिस्क कैटेगरी में रखा जाता है. उनका जाना-आना पाबंदीशुदा होता है. वे आम लोगों की तरह मनचाहा घूम नहीं सकते. वीजा की मंजूरी भी काफी ठोक-बजाकर मिलती है. इसे देखते हुए कई बार लोग अवैध तरीके भी अपनाते रहे. 

नेपाल और भारत की सीमा सबसे आसान रास्ता रही. दोनों देशों के बीच खुली सीमा का फायदा उठाकर कई पाकिस्तानी नागरिक यहां आते रहे. वे पहले नेपाल पहुंचते और वहां से भारत. मिसाल के तौर पर सीमा हैदर को ही लें जो साल लगभग दो साल पहले नेपाल से होते हुए भारत पहुंची थीं. पिछले साल अप्रैल में यूपी एटीएस ने दो पाकिस्तानी नागरिकों को नेपाल के रास्ते भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. पता चला कि ये लोग पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से हमारे यहां आतंकी गतिविधियों की फिराक में थे. 

वहां से यहां आतंकवादियों और हथियारों की तस्करी के लिए सुरंगों का इस्तेमाल होता रहा. नब्बे के दशक से अब तक दोनों देशों की सीमाओं पर 10 से ज्यादा सुरंगें मिलीं, जिनमें से ज्यादातर पंजाब और जम्मू कश्मीर इलाके में हैं. 

एक और तरीका प्रचलित रहा. पाकिस्तानी लोग यहां वैध दस्तावेजों के साथ आते हैं और वीजा खत्म होने पर भी रुके रहते हैं. वे अपनी पहचान भी बदल लेते हैं, या जगह बदलते रहते हैं. ऐसे मामलों को पकड़ना काफी मुश्किल रहता है. 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *